Central Information Commission

शिकायत

आर.टी.आई. की धारा 18(1) आधार उपलब्ध कराता है, जिनपर एक शिकायत दाखिल की जा सकती है। शिकायत, सूचना तक पहुंच प्राप्त करने में असमर्थतता, सूचना प्रदान करने से इनकार आदि से संबंधित हो सकते हैं। धारा 18(1) नीचे दिया जाता है:

धारा 18(1) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह निम्नलिखित किसी ऐसे व्यक्ति से शिकायत प्राप्त करे और उसकी जांच करे—

(क) जो, यथास्थिति, किसी केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी को, इस कारण से अनुरोध प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा है कि इस अधिनियम के अधीन ऐसे अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है या, यथास्थिति, केन्द्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी या राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी ने इस अधिनियम के अधीन सूचना या अपील के लिए धारा 19 की उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अथवा ज्येष्ठ अधिकारी या, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग को उसके आवेदन को भेजने के लिए स्वीकार करने से इंकार कर दिया है;

(ख) जिसे इस अधिनियम के अधीन अनुरोध की गई कोई जानकारी तक पहुंच के लिए इंकार कर दिया गया है;

(ग) जिसे इस अधिनियम के अधीन विनिर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर सूचना के लिए या सूचना टक पहुंच के लिए अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया है;

(घ) जिससे ऐसी फ़ीस की रकम का संदाय करने कि अपेक्षा की गई है, जो वह अनुचित समझता है या समझती है;

(ङ) जो यह विश्वास करता है कि उसे इस अधिनियम के अधीन अपूर्ण, भ्रम में डालने वाली या मिथ्या सूचन दी गई है; और

(च) इस अधिनियम के अधीन अभिलेखों के लिए अनुरोध करने या उन तक पहुंच प्राप्त करने से संबंधित किसी अन्य विषय के संबंध में।

2. जहां, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का यह समाधान हो जाता है कि उस विषय में जांच करने के लिए युक्तियुक्त आधार हैं, वहां वह उसके संबंध में जांच आरम्भ कर सकेगा।

3. यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग को, इस धारा के अधीन किसी मामले में जांच करते समय वही शक्तियां प्राप्त होंगी, जो निम्नलिखित मामलों के संबंध में सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के अधीन किसी वाद का विचरण करते समय सिविल न्यायलय में निहित होती हैं, अर्थात्:--

(क) किन्हीं व्यक्तियों को समन करना और उन्हें उपस्थित कराना तथा शपथ पर मौखिक या लिखित साक्ष्य देने के लिए और दस्तावेज या चीजें पेश करने के लिए उनको विवश करना;

(ख) कस्तावेजों के प्रकटीकरण और निरिक्षण की अपेक्षा करना;

(ग) शपथपत्र पर साक्ष्य को अभिग्रहण करना;

(घ) किसी न्यायलय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रतियां मंगाना;

(ङ) साक्षियों या दस्तावेजों की परीक्षा के लिए समन जरी करना; और

(च) कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाए।

(4) यथास्थिति, संसद या राज्य विधान-मंडल के किसी अन्य अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी असंगत बात के होते हुए भी, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग इस अधिनियम के अधीन किसी शिकायत की जांच करने के दौरान, ऐसे किसी अभिलेख की परीक्षा कर सकेगा, जिसे यह अधिनियम लागू होता है और जो लोक प्राधिकारी के नियंत्रण में है और उसके द्वारा ऐसे किसी अभिलेख को किन्हीं भी आधारों पर रोका नहीं जाएगा।

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