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आवेदक एसएमएस और ई-मेल सूचना प्राप्त कर सकता है अगर वह आवेदन के साथ मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी प्रदान करेगा ।
इस आयोग के कार्यालय सी आई सी भवन , बाबा गंगनाथ मार्ग ,मुनिरका , नई दिल्ली -११००६७ में स्थित है।
हाँ, हेल्पलाइन नंबर है- 011-26183053.
हाँ, उनलोगों को, जो व्यक्तिगत रूप से द्वितीय अपील और शिकायत के लिए आयोग में आते हैं, उनको सहायता प्रदान करने के लिए एक सुविधा सेवा डेस्क भू-तल, सी आई सी भवन , बाबा गंगनाथ मार्ग ,मुनिरका , नई दिल्ली -११००६७ में कार्य कर रहा है। कार्य के समय (शनिवार, रविवार और राजपत्रित छुट्टी के दिनों को छोड़कर) 0930 बजे से 1800 बजे है।
यह आयोग एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 से अनधिक सूचना आयुक्तों से मिलकर बनता है। वर्तमान संरचना वेबसाइट पर उपलब्ध है।
एक द्वितीय अपीलीय अधिकारी के रूप में, इस आयोग को भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले सभी लोक प्राधिकारियों, केन्द्र सरकार या संघ शासित क्षेत्र दिल्ली के साथ-साथ केंद्र शासित प्रशासन द्वारा स्थापित, गठित, स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन और प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अधिकांशत: वित्त पोषित संगठन है, पर अधिकारिता है। इसमें भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम शामिल हैं। लोक प्राधिकारियों की एक सूची वेबसाइट पर उपलब्ध है।
मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के बीच कार्यों का बंटवारा इसके वेबसाइट पर उपलब्ध है।
नहीं, इस आयोग का क्षेत्राधिकार राज्य सूचना आयोग पर नहीं है, न ही राज्य सूचना आयोग के एक आदेश के विरुद्ध एक अपील या शिकायत आयोग में की जा सकती है।
एक आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के विरुद्ध या निर्धारित अवधि (अधिकतम 45 दिनों की अवधि) में प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा कोई आदेश पास नहीं किया जाता है, आर.टी.आई. अधिनियम की धारा 19(3) के अंतर्गत द्वितीय अपील में आयोग पहुंच सकता है।
हाँ, आयोग में द्वितीय अपील दाखिल करने से पहले प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष प्रथम अपील दाखिल किया जाना चाहिए। यदि बगैर प्रथम अपील दाखिल किए एक द्वितीय अपील दाखिल की जाती है, यह लौटाए जाने योग्य होगी।
हाँ, प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के विरुद्ध एक द्वितीय अपील, उस तिथि से 90 (नब्बे) दिन के अन्दर दाखिल किया जा सकता है, जिस तिथि को प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा आदेश दिया जाना चाहिए था या वह वास्तव में प्राप्त हुआ था।
हाँ, आर.टी.आई. नियम, 2012 के अंतर्गत निम्नलिखित प्रारूप निश्चित किया गया है:
अपील का प्रारूप
(नियम 8 देखिए)
I. अपीलार्थी का नाम और पता
2. केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी का नाम और पता, जिसे आवेदन संबोधित किया गया था
3. केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी का नाम और पता, जिसने आवेदन का उत्तर दिया था
4. प्रथम अपील प्राधिकारी का नाम और पता, जिसने प्रथम अपील का विनिश्चय किया था
5. आवेदन की विशिष्टियां
6. ऐसे आदेश (आदेशों) की, संख्यांक सहित, यदि कोई हो, जिसके (जिनके) विरुद्ध अपील की गई है, विशिष्टियां
7. अपील के संक्षिप्त तथ्य, जिनके कारण अपील की गई है
8. प्रार्थना या ईप्सित अनुतोष
9. प्रार्थना या अनुतोष के आधार
10. अपील से सुसंगत कोई अन्य सूचना
I I. अपीलार्थी द्वारा सत्यापन/अदिप्रमाणन
हाँ, द्वितीय अपील के साथ दाखिल किए जाने वाले सभी दस्तावेजों को अपीलकर्ता द्वारा हस्ताक्षरित/ स्व-अभिप्रमाणित/ सत्यापित किए जाने की आवश्यकता होती है। यदि द्वितीय अपील ऑनलाइन दाखिल की जाती है, सभी दस्तावेजों की सम्पूर्ण प्रतियां, सम्बंधित व्यक्ति के हस्ताक्षर के साथ अपलोड किये जाने की आवश्यकता होती है।
निम्नलिखित दस्तावेजों को द्वितीय अपील के साथ दाखिल किए जाने की आवश्यकता होती है :-
(i) केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी को दाखिल आवेदन की एक प्रति;
(ii) केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी से प्राप्त जवाब की एक प्रति, यदि कोई है;
(iii) प्रथम अपीलीय अधिकारी को की गई अपील की एक प्रति;
(iv) प्रथम अपीलीय अधिकारी से प्राप्त आदेश की एक प्रति, यदि कोई है;
(v) अन्य दस्तावेजों की प्रतियां जिसपर प्रार्थी निर्भर है और अपने अपील में सन्दर्भ प्रस्तुत किया है; और
(vi) दस्तावेजों का एक इंडेक्स जिसे अपील में संदर्भित किया गया है।
सीपीआईओ और प्रथम अपीलीय अधिकारी को अपील भेजने के साक्ष्य के साथ द्वितीय अपील की केवल एक प्रति आयोग में दाखिल किया जाना होगा।
हाँ, एक व्यक्ति द्वारा आर.टी.आई. अधिनियम के धारा 18 के अंतर्गत आयोग के समक्ष सीधे एक शिकायत दाखिल की जा सकती है:-
(क) यदि वह इस कारण से अनुरोध प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा है कि इस अधिनियम के अधीन ऐसे अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है या केन्द्रीय सहायक जन सूचना अधिकारी ने इस अधिनियम के अधीन सूचना या अपील के लिए धारा 19 की उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी या ज्येष्ठ अधिकारी को भेजने के लिए स्वीकार करने से इंकार कर दिया है;
(ख) यदि उसे इस अधिनियम के अधीन अनुरोध की गई कोई जानकारी तक पहुंच के लिए इंकार कर दिया गया है;
(ग) यदि उसे इस अधिनियम के अधीन विनिर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर सूचना के लिए या सूचना तक पहुंच के लिए अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया है;
(घ) यदि उससे ऐसी फ़ीस की रकम का संदाय करने की अपेक्षा की गई है, जो वह अनुचित समझता है या समझती है;
(ङ) यदि वह विश्वास करता है कि उसे इस अधिनियम के अधीन अपूर्ण, भ्रम में डालने वाली या मिथ्या सूचना दी गई है; और
(च) इस अधिनियम के अधीन अभिलेखों के लिए अनुरोध करने या उन तक पहुंच प्राप्त करने से संबंधित किसी अन्य विषय के संबंध में।
नहीं, हालाँकि, जैसे ही कार्रवाई का कारण उपस्थित होता है, एक शिकायत प्रासंगिक अवधि के अन्दर ही दाखिल किया जाना चाहिए।
हाँ, यदि आयोग इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि अपीलकर्ता पर्याप्त कारणों से समय के अन्दर अपील दाखिल करने से निवारित किया गया था।
हाँ। यदि निर्धारित अवधि में दाखिल नहीं किए गए द्वितीय अपील के साथ विलम्ब की माफ़ी के लिए एक औपचारिक अनुरोध नहीं किया जाता है, वह अस्वीकार किए जाने योग्य होगा।
अधिनियम की धारा 19(3) के अंतर्गत एक द्वितीय अपील लोक प्राधिकार में प्रथम अपीलीय अधिकारी के एक आदेश के विरुद्ध या जब प्रथम अपीलीय अधिकारी निर्धारित समय के अन्दर कोई आदेश जारी नहीं करता है, दाखिल किया जाता है। अधिनियम की धारा 18 के अंतर्गत एक शिकायत इस धारा की उपधारा (1) में वर्णित आधारों पर सीधे दाखिल की जा सकती है। एक शिकायत और एक द्वितीय अपील के बीच मुख्य अंतर यह है कि एक अपील की स्थिति में, यह आयोग उचित वाद में केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी को निर्देश देते हुए वांछित सूचना अपीलकर्ता को प्रदान करने का आदेश पास कर सकता है, जबकि एक शिकायत का विचारण करते समय ऐसे आदेश पास नहीं किए जा सकते हैं।
हाँ, आर.टी.आई. नियम, 2012 के अनुसार अपेक्षित दस्तावेजों के साथ एक द्वितीय अपील या एक शिकायत इलेक्ट्रॉनिक रूप में www.cic.gov.in पर ऑनलाइन दाखिल किया जा सकता है। दाखिल किए जा रहे अपील या शिकायत के साथ स्कैन और संलग्न किये जाने से पहले दस्तावेज उचित रीति से हस्ताक्षरित/ स्व-अभिप्रमाणित/ सत्यापित किए जाने चाहिए।
द्वितीय अपील/ शकायत के साथ किसी भी शुल्क का भुगतान किया जाना आवश्यक नहीं है।
द्वितीय अपील / शिकायत को प्राप्त किया जाना एक सतत प्रक्रिया है और वे यथासंभव शीघ्रता से निस्तारित किए जाते हैं। शिकायत / अपील इनके बारी के अनुसार लिए जाते हैं। प्राथमिकता पर सुनवाई, एक निश्चित वाद और वादों के प्रकार को, संबंधित मुख्य सूचना आयुक्त / सूचना आयुक्त के आदेश के अनुसार प्रदान किया जाता है।मुख्य सूचना आयुक्त / प्रत्येक सूचना आयुक्त के लंबित मामलों की सूची आयोग के वेबसाइट पर उपलब्ध है। वादों की सुनवाई को दर्शाता हुआ कॉज लिस्ट भी आयोग के वेबसाइट पर उपलब्ध है।
एक शिकायत या अपील के डाक अनुभाग में प्राप्त किए जाने के बाद इसपर निम्नलिखित कार्रवाई की जाती है :-
(क) एक शिकायत या अपील के प्राप्त किए जाने के बाद, एक डाक पंजीकरण नंबर दिया जाता है। वे, जो व्यक्तिगत रूप से डाक जमा करते हैं, उन्हें उसकी प्राप्ति तुरंत दी जाती है। किसी पूछताछ के लिए, आवेदक को इस नंबर को बताना पड़ेगा। एक बार जब वाद पंजीकृत कर लिया जाता है, वाद संख्या को बताया जाना चाहिए।
(ख) अनुभाग में डाक के वर्गीकरण के बाद, यदि यह नए शिकायत या अपील से संबंधित है, उसे सी.आर. अनुभाग में भेजा जाता है।
(ग) सी.आर. अनुभाग में आर.टी.आई. अधिनियम और इसके अंतर्गत बनाये गए नियम के अनुसार डाक का परीक्षण किया जाता है।
(घ) यदि अपील आर.टी.आई. नियम के अनुसार सुव्यवस्थित है, इसे पंजीकृत किया जाता है और एक वाद संख्या प्रदान किया जाता है। सामान रूप से, यदि यह धारा 18 के अंतर्गत एक शिकायत है और उसके साथ कम से कम आर.टी.आई. आवेदन की एक प्रति संलग्न की गई है, इसे पंजीकृत किया जाता है और एक वाद संख्या प्रदान किया जाता है। पंजीकरण के बाद इसे आवंटित कार्य के अनुसार भेजा जाता है।
(ङ) यदि अपील के साथ निर्दिष्ट दस्तावेज संलग्न नहीं किए जाते हैं, उसकी कमियों को रेखांकित करते हुए एक सरल पत्र के साथ, उन कमियों को दूर करने और उसे दोबारा दाखिल करने के लिए वापस भेज दिया जाता है। सामान रूप से, अगर एक शिकायत के साथ आर.टी.आई. आवेदन के प्रति संलग्न नहीं है, उसकी प्रति मांगते हुए एक पत्र जारी किया जाता है।
(च) यदि एक अपील समय से पूर्व दाखिल किया जाता है, अर्थात इसे संबंधित लोक प्राधिकार में प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष बगैर प्रथम अपील दाखिल किए, दाखिल किया जाता है या प्रथम अपील दाखिल करने की तिथि से 45 दिनों की अवधि का इंतजार किए बिना दाखिल किया जाता है; इसे अपरिपक्व रूप में अस्वीकार कर दिया जाता है।
आर.टी.आई. अधिनियम के अंतर्गत आयोग में दाखिल शिकायत और द्वितीय अपील सुनवाई के लिए कालानुक्रमिक रूप में लिए जाते हैं। हालाँकि, आयोग एक निश्चित मामले में, वाद के तथ्यों और परिस्थितियों पर आधारित प्रधानता प्रदान कर सकता है।
अपीलकर्ता व्यक्तिगत रूप से या अपने उचित रूप से प्राधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से उपस्थित हो सकता है।
हाँ, विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की सुविधा देश भर में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एन.आई.सी.) के लगभग सभी जिला मुख्यालयों में उपलब्ध है।
अधिनियम की धारा 19(5) के अनुसार, अपील संबंधी किन्हीं कार्रवाईयों में यह साबित करने की जवाबदेही, कि अनुरोध को अस्वीकार किया जाना न्यायोचित था, उस सीपीआईओ पर है, जिसने अनुरोध को अस्वीकार किया था।
ऐसी सूचना केवल तृतीय पक्ष को एक लिखित नोटिस देने और उस तृतीय पक्ष के निवेदन को ध्यान में रखने के बाद ही प्रदान की जा सकती है। यदि सूचना के प्रकटन में लोकहित, उस तृतीय पक्ष के हितों के संभावित नुकसान या हानि से अधिक महत्वपूर्ण है, सूचना प्रकट की जा सकती है।
हाँ, यह आयोग सीपीआईओ पर शास्ति अधिरोपित कर सकता है, यदि आयोग का ऐसा मानना है कि सीपीआईओ ने किसी युक्तियुक्ति कारण के बिना सूचना के लिए कोई आवेदन प्राप्त करने से इंकार किया है या धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन विनिर्दिष्ट समय के भीतर सूचना नहीं दी है या असद्भावपूर्वक सूचना के लिए अनुरोध से इंकार किया है या जानबूझकर गलत, अपूर्ण या भ्रामक सूचना दी है या उस सूचना को नष्ट कर दिया है, जो अनुरोध का विषय थी या किसी रीति से सूचना देने में बाधा डाली है, तो वह ऐसे प्रत्येक दिन के लिए, जब तक आवेदन प्राप्त किया जाता है या सूचना दी जाती है, दो सौ पचास रूपये की शास्ति अधिरोपित करेगा, तथापि, ऐसी शास्ति की कुल रकम पच्चीस हजार रूपये से अधिक नहीं होगी।
हाँ, सीपीआईओ, यदि उसपर कोई शास्ति अधिरोपित की जाती है, उसके पहले सुनवाई के युक्तियुक्त अवसर हेतु अधिकृत है।
हाँ, यह आयोग सेवा नियमों के अंतर्गत सीपीआईओ के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा कर सकता है, यदि आयोग का ऐसा विचार है कि सीपीआईओ ने किसी युक्तियुक्त कारण के बिना और लगातार सूचना के लिए कोई आवेदन प्राप्त करने में असफल रहा है या उसने धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन विनिर्दिष्ट समय के भीतर सूचना नहीं दी है या असद्भावपूर्वक सूचना के लिए अनुरोध से इंकार किया है या जानबूझकर गलत, अपूर्ण या भ्रामक सूचना दी है या ऐसी सूचना को नष्ट कर दिया है, जो अनुरोध का विषय थी या किसी किसी रीति से सूचना देने में बाधा डाली है।
हाँ, समुचित वादों में यह आयोग शिकायतकर्ता को क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए लोक प्राधिकारी को आदेश दे सकता है।
संबंधित मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त द्वारा वादों की सुनवाई के बाद, एक औपचारिक आदेश पास किया जाता है, जिसकी एक कागज की प्रति शिकायतकर्ता / अपीलकर्ता और संबंधित सीपीआइओ को नि:शुल्क प्रदान किया जाता है। पास किये गए आदेश की एक प्रति आयोग के वेबसाइट पर भी अपलोड की जाती है।
हाँ, यह अधिनियम की धारा 19 (7) के अंतर्गत बाध्यकारी है।
आर.टी.आई. अधिनियम की धारा 3 के अनुसार कोई भारतीय नागरिक इस अधिनियम के अंतर्गत सूचना प्राप्त कर सकता है।
सूचना का प्रकार, जो प्राप्त किया जा सकता है, इस अधिनियम की धारा 2(च) में परिभाषित है, जैसे कि अभिलेख, मेमो, ई-मेल, राय, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति,, परिपत्र, आदेश, लगबुक, संविदा रिपोर्ट, कागज, माडल, आंकड़ो संबंधी सामग्री और किसी प्राइवेट निकाय से संबंधित ऐसी सूचना सहित, जिस तक तत्समय प्रवृत किसी अन्य विधि के अधीन किसी लोक प्राधिकारी की पहुंच हो सकती है, किसी रूप में कोई सामग्री अभिप्रेत है।
“सूचना का अधिकार” से इस अधिनियम के अधीन पहुंच योग्य सूचना का, जो किसी लोक प्राधिकारी द्वारा या उसके नियंत्रणाधीन धारित है, अधिकार अभिप्रेत है और जिसमें निम्नलिखित का अधिकार शामिल है—
(i) कृति, दस्तावेजों, अभिलेखों का निरिक्षण;
(ii) दस्तावेजों या अभिलेखों के टिप्पणी, उद्धरण या प्रमाणित प्रतिलिपि लेना;
(iii) सामग्रियों के प्रमाणित नमूने लेना;
(iv) डिस्केट, फ्लापी, टेप, वीडियो कैसेट के रूप में या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक रीति में या प्रिंट आउट के माध्यम से सूचना को, जहां ऐसी सूचना किसी कंप्यूटर या किसी अन्य युक्ति में भंडारित है, अभिप्राप्त करना है।
अगर इस आयोग से संबंधित सूचना की मांग की जाती है, आवेदन इस आयोग के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी, कमरा संख्या 185, भू-तल, अगस्त क्रांति भवन, भिकाजी कामा प्लेस, नई दिल्ली-110 066 को, संबोधित किया जा सकता है।
आर.टी.आई. अधिनियम की धारा 6(1) के अनुसार, एक आवेदन संबंधित लोक प्राधिकरण, जिससे सूचना अपेक्षित है, के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी (सी.पी.आई.ओ.) के समक्ष लिखित रूप में दाखिल की जा सकती है। इसे ऑनलाइन भी दाखिल किया जा सकता है। आयोग के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी के समक्ष ऑनलाइन आवेदन दाखिल करने के लिए इसे https://rtionline.gov.in.लिंक पर दाखिल किया जा सकता है।
आर.टी.आई. अधिनियम की धारा 6(1) के अनुसार, एक आवेदन अंग्रेजी या हिंदी या उस क्षेत्र की, जिसमे आवेदन किया जा रहा है,राजभाषा में किया जा सकता है।
हाँ, अधिनियम की दूसरी अनुसूची में शामिल आसूचना और सुरक्षा संगठनों को अधिनियम के अंतर्गत सूचना प्रदान करने से छूट प्राप्त है। हालाँकि, यदि अनुरोध की गई सूचना भ्रष्टाचार के अभियोग और मानवाधिकार के उलंघन से संबंधित होते हैं, यह छूट लागू नहीं होती है।
द्वितीय अपील और शिकायत से संबंधित अभिलेख को वाद के निस्तारण की तिथि से छ: माह की अवधि तक संभाल कर रखा जाता है। जहां तक आयोग के प्रशासनिक / वित्तीय अभिलेखों का प्रश्न है, इन्हें समय-समय पर बनाई गई नीतियों के अनुसार संभाल कर रखे जाते हैं।
कॉपीराइट © 2015 केंद्रीय सूचना आयोग